छाया का सत्य 2



आयरनी है, पर सत्य यही,
जब समझो इसे प्रक्षेपण सही।
बाहर जो दिखता है दानव बड़ा,
असल में वो है भ्रम जड़ा।

न हो वो कोई महत्व का पात्र,
बस मन का खेल, एक छाया मात्र।
जब देखो इसे बिना अहम के,
तब शक्ति तुम्हारी लौटे स्वयं के।

हमने जो दी उसे अपनी ताकत,
बस दृष्टि की थी यह एक आघात।
पर जब मान लिया इसे सिर्फ चित्र,
मन का साम्राज्य बने समृद्ध।

न कोई शत्रु, न कोई भय,
बस तुम्हारे विचारों का ही नय।
जो देखो इसे, बस देखो यूं ही,
फिर लौटेगी शक्ति, शांति मिलेगी।

दानव नहीं, न कोई विजय,
बस तुम्हारे भीतर का एक क्षय।
छाया को पहचानो और छोड़ो,
अपने अस्तित्व में फिर से लौटो।

यह प्रक्षेपण है, सत्य नहीं,
बस समझ लो इसे, और करो सही।
अपनी शक्ति जब भीतर पाओ,
हर छाया का अंत कर जाओ।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...