“Bisexuality – बीच के उस पुल की कहानी, जिसे सब पार करना चाहते हैं मगर नाम नहीं देना चाहते।”
> “Sexuality कोई सीधी रेखा नहीं है—
ये एक स्पेक्ट्रम है,
जिसमें दिल किसी भी ओर झुक सकता है—
बिना किसी लेबल, डर या पापबोध के।”
---
मुंबई की वो शाम – जब मेरी सोच बदल गई
वो शाम मुंबई के अंधेरी वेस्ट की एक book café में बीती थी।
मैं एक documentary research कर रहा था “Modern Relationships in Metro India” पर।
वहीं मेरी मुलाक़ात हुई राहुल और अवनी से।(नाम बदले गए हैं)
ऊपरी तौर पर एक straight couple लगने वाला ये जोड़ा मुझे बेहद normal और खुश दिखा।
बातों-बातों में राहुल ने मुझे धीरे से कहा:
> “मैं bisexual हूं। और अवनी जानती है।”
मैं चौंका, लेकिन अवनी मुस्कुरा रही थी।
> “जब हम मिले, उसने पहले हफ्ते में ही बता दिया था।
और पता है, मैंने इसे weakness नहीं, उसकी ईमानदारी माना।”
---
Bisexuality: एक Dual World की यात्रा
Bisexuality का मतलब है—
ऐसे लोग जो स्त्री और पुरुष दोनों की ओर यौन या भावनात्मक रूप से आकर्षित हो सकते हैं।
लेकिन असल में ये परिभाषा इतनी सीमित नहीं—
क्योंकि कई बार attraction शरीर से ज़्यादा ऊर्जा से होता है।
---
राहुल की कहानी: "कन्फेशन और कन्फ्यूज़न"
राहुल ने बताया कि कॉलेज के दिनों में वो एक लड़के की ओर खिंचा था।
> “पहले तो खुद से डर गया था। लगा कहीं गड़बड़ तो नहीं?”
“फिर जब एक लड़की के साथ भी वही जुड़ाव महसूस हुआ,
तब जाकर समझ आया— मैं दोनों से जुड़ सकता हूं।”
ये समझना जितना आसान लगता है,
उतना ही मुश्किल होता है इसे स्वीकारना—
खुद से भी और समाज से भी।
---
Avni की सोच – "मेरा पार्टनर कौन है, उसकी चाहत क्या है—मैं ये समझना चाहती हूं, जज नहीं करना"
> “राहुल bisexual है, इससे हमारे रिश्ते पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
बल्कि हमने boundaries, trust, और emotional safety को लेकर
और भी clarity develop की।”
उन्होंने कुछ ground rules तय किए,
खुलकर बातचीत की, और emotional honesty को रखा सबसे ऊपर।
---
Osho की दृष्टि – Beyond Gender, Beyond Labels
> “Love is not heterosexual, not homosexual, not bisexual.
Love is just love — pure energy.” — Osho
ओशो ने बार-बार कहा कि
Sexuality एक fluid energy है—
जो शरीरों से नहीं,
आत्माओं की लय से जुड़ती है।
> “कभी पुरुष आकर्षित करेगा, कभी स्त्री—
ये तय करने वाला मन नहीं, तुम्हारा being है।”
पुणे आश्रम में मैंने ऐसे कई seekers देखे—
जो ना ही खुद को male-female की सीमाओं में बाँधते थे,
ना ही अपनी desires को suppress करते थे।
---
भारत में Bisexuality – इतिहास, शास्त्र और समकाल
कामसूत्र में ऐसे पात्र और यौन क्रियाएं वर्णित हैं
जहाँ व्यक्ति दोनों लिंगों से यौन सुख लेता है।
पुराणों में भी शिव के Ardhanarishwar रूप में
एक divine bisexuality को दर्शाया गया है—
जहाँ स्त्री और पुरुष दोनों की ऊर्जा एक में समाहित है।
> "न स्त्री न पुरुष, शिव स्वयं काम के पार हैं—
परन्तु उनकी लीला में दोनों का सम्मिलन है।"
कहानी का दूसरा कपल – प्रियंका और सिम्मी (नाम बदले गए हैं)
फिर मैं एक event में मिला दो औरतों से—
प्रियंका और सिम्मी, जो एक couple थीं।
लेकिन twist यह था कि प्रियंका शादीशुदा थी,
और bisexual होने की वजह से अपने पति से भी emotionally जुड़ी थी।
> “मैं दोनों से प्यार करती हूं।
मुझे neither monogamy suits, nor strict labels.”
इस कहानी में दर्द भी था,
confusion भी,
और प्यार की जटिलता भी।
---
Bisexual होने का मतलब – Confused होना नहीं है।
समाज आज भी bisexuality को एक “कन्फ्यूज़न” मानता है।
कहते हैं:
> “अरे, तुम तय करो, लड़कों से प्यार है या लड़कियों से!”
मगर सच्चाई यह है—
Bisexuality कोई आधा-अधूरा फेज़ नहीं है।
ये एक पूर्ण यौन और भावनात्मक अनुभव है—
जो दो ध्रुवों को छूता है,
और हर इंसान को खुद को explore करने की आज़ादी देता है।
---
एक संदेश: “Love को सीमाओं से मत तोलो”
Bisexual होना कोई rebel होना नहीं—
ये बस अपनी आत्मा की उस लय को पहचानना है
जो कभी स्त्री से, कभी पुरुष से, कभी दोनों से झूम उठती है।
---