पोर्नोग्राफी: स्वतंत्रता या असुरक्षा?
"जब पूरा शहर बंद हो गया था, तब मेरा मन और खुल गया था..."
मैं यह लेख 26 मई 2020 में लिख रहा हूँ। वही समय जब पूरी दुनिया लॉकडाउन में थी। लोग अपने घरों में बंद थे। सड़कों पर सन्नाटा था, अस्पतालों में हाहाकार था, और मनुष्यों के भीतर — एक गहरी बेचैनी। यह वो वक़्त था जब सेक्स, प्रेम, और स्पर्श जैसे शब्द हमारी ज़िन्दगी से गायब हो गए थे। और ऐसे समय में, मैंने महसूस किया कि बहुत से लोग एक ऐसे माध्यम की तरफ झुक रहे थे — पोर्नोग्राफी।
पोर्न क्या है, और क्यों?
पोर्न कोई नई चीज़ नहीं है। यह उतना ही पुराना है जितना कि इंसानी कल्पना। प्राचीन भारत में खजुराहो की मूर्तियाँ, कामसूत्र, अजन्ता की दीवारों पर बने चित्र — यह सब किसी न किसी रूप में 'पोर्नोग्राफिक' कहे जा सकते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब ये सब डिजिटल हो चुका है — अंगुली के एक क्लिक पर।
लॉकडाउन और पोर्न की भूख
कोविड के लॉकडाउन में जब लोग प्रेमियों से दूर हो गए, अकेलेपन और तनाव ने दिमाग को घेर लिया — तब बहुतों के लिए पोर्न एक 'comfort' बन गया। एक escapism — एक पलायन। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के लॉकडाउन में पोर्न वेबसाइट्स पर ट्रैफिक में 20–30% की बढ़ोतरी हुई।
स्वतंत्रता या फिसलन?
कुछ लोग कहते हैं — "ये मेरी आज़ादी है, मेरी ख्वाहिश है।"
तो कुछ कहते हैं — "यह मानसिक और नैतिक गिरावट है।"
सच कहूँ तो मैं खुद इस द्वंद में रहा। कई बार ऐसा लगता है कि पोर्न एक private pleasure है — मगर धीरे-धीरे मैंने जाना कि यह pleasure अक्सर guilt में बदल जाता है। मनुष्य का मस्तिष्क डोपामाइन से भर जाता है, और हर बार एक नया, ज़्यादा刺激कारी content चाहिए होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
पोर्न देखने से दिमाग में reward circuit activate होता है, जो हमें pleasure देता है। मगर repeated exposure se एक प्रकार की dependency या addiction develop हो सकती है। Neuroscience कहता है कि ज़्यादा पोर्न देखने से dopamine receptors dull हो जाते हैं, और real life intimacy से संतुष्टि नहीं मिलती।
ओशो का दृष्टिकोण
ओशो कहते थे —
“Sexual repression is the cause of perversion.”
उनका मानना था कि यदि सेक्स को सम्मान के साथ स्वीकार किया जाए, तो पोर्न जैसी छुपी हुई लालसाएं धीरे-धीरे कम हो जाएंगी।
मैंने क्या महसूस किया
लॉकडाउन में जब मेरे आसपास कुछ नहीं था, तब मैंने खुद को कई बार पोर्न की ओर झुकते पाया। मगर एक समय ऐसा भी आया जब इससे ऊबन, अपराधबोध और खालीपन महसूस हुआ। मैंने तब ध्यान और स्व-स्वीकृति की राह पकड़ी।
पोर्न एक tool है। इसका उपयोग अच्छा भी हो सकता है, और बुरा भी। यह आपकी स्वतंत्रता बन सकता है, या आपकी असुरक्षा। फर्क सिर्फ इस बात पर है — आप इसका इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं?
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