संगीत का साधक



मैंने चुना है एक पथ अनोखा,
जहां स्वर हैं, लय है, और मौन का झरोखा।
शास्त्रीय संगीत मेरी आत्मा की पुकार है,
पर परिवार और पड़ोस को यह क्यों खटकता है?

यह स्वर, यह लय, यह राग की कहानी,
हर कोई समझे, यह तो एक कल्पना बेमानी।
यह कोई फिल्मी धुन नहीं, जो सबको भाए,
यह तो साधना है, जो भीतर उतर कर जगाए।

मुझे कहा गया, यह झंझट का काम है,
पर मैं जानता हूं, यह मेरा ध्यान है।
हर राग, हर सुर, हर ताल के पीछे,
एक ब्रह्मांडीय गहराई का भान है।

मां कहती है, "ये शोर क्यों मचाते हो?"
दोस्त पूछते हैं, "क्यों डूब जाते हो?"
पड़ोसी हंसते हैं, "यह तो पागलपन है,"
पर मैं जानता हूं, यह मेरी साधना का संगम है।

एक दिन बैठा था दीपक राग में खोकर,
आग की लपटें उठीं, घर जलने लगा होकर।
पड़ोसी बोले, "यह कैसी दिव्यता का रंग है?"
मैंने कहा, "यह संगीत का प्रचंड प्रसंग है।"

कभी सोचा, क्या मैं गलत हूं?
क्या संगीत का प्रेम मेरे संग है, या मुझ पर कलंक है?
फिर भीतर से एक आवाज आई,
"संगीत तेरा सत्य है, यह तेरी अंतर्यात्रा की छांव है।"

मैंने सोचा, क्यों न धीरे-धीरे समझाऊं,
परिवार को सुरों की मिठास का रस पिलाऊं।
शुरुआत करूंगा सरल धुनों से,
फिर ले जाऊंगा उन्हें गहरे रागों के गुणों से।

क्योंकि हर आत्मा में कहीं न कहीं,
संगीत का बीज छिपा है वहीं।
ओंकार का नाद हर हृदय में बजता है,
बस उसे जगाना, यही मेरा मंत्र है।

अगर फिर भी कोई साथ न दे,
तो मैं अकेला भी इस पथ पर बढ़ूंगा,
संगीत मेरा ध्यान है, मेरा प्रेम है,
इस रस को मैं कभी न छोड़ूंगा।

शास्त्रीय संगीत, यह केवल कला नहीं,
यह तो आत्मा का संवाद है।
हर राग, हर ताल, हर सुर के भीतर,
एक मौन, एक परम का स्वाद है।

अगर संगत छोड़ा तो संगीत रहेगा,
पर अगर संगीत छोड़ दूं, तो क्या बचेगा?
मुझे चुनना है अपना सत्य, अपना पथ,
और इस पथ पर मैं बढ़ूंगा दृढ़।

संगीत ही मेरा संन्यास है,
संगीत ही मेरा प्रकाश है।
और जब तक यह आत्मा धड़क रही है,
संगीत ही मेरी श्वास है।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...