one side love part 3



एकतरफा प्रेम – भाग 3: "कैसे निकलें उस प्यार से जो सिर्फ मेरा था?"

एकतरफा प्रेम सबसे दर्दनाक होता है, क्योंकि इसमें सिर्फ एक तरफ़ की उम्मीदें, चाहतें और सपने होते हैं।
मगर सवाल ये उठता है —
क्या हम इस एहसास से कभी पूरी तरह मुक्त हो पाते हैं?

मेरे अनुभव से, एकतरफा प्रेम से निकलना कोई सीधा रास्ता नहीं।
कभी-कभी वो यादें हमें फिर से खींचती हैं, कभी मन में सवाल उठते हैं — "क्या मैं गलत था?", "क्या मुझे मौका देना चाहिए था?"
लेकिन वक्त के साथ समझ आता है कि
यह प्यार हमसे जुड़ा था, उस से नहीं।

हमें खुद को इस बात का एहसास दिलाना होता है कि
अपने आप से प्यार करना सबसे पहली ज़रूरत है।
और यही उस अंधेरे से बाहर निकलने की पहली सीढ़ी होती है।

कुछ तरीके जो मैंने अपनाए:

खुद को व्यस्त रखना, नयी चीज़ें सीखना

अपनी भावनाओं को लिखना, बोलना या कला के ज़रिए निकालना

उन रिश्तों पर ध्यान देना जो सच में मुझे प्यार करते हैं

और सबसे जरूरी — खुद को माफ़ करना कि मैंने इतना गहरा महसूस किया


यही सफर धीरे-धीरे उस दर्द को कम करता है, और जीवन फिर से चल पड़ता है।


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कविता: "वक्त की हल्की बारिश"

**"वक्त की हल्की बारिश में,
जो बीते वो बह गया,
वो यादें, वो सपने, वो दूरियां,
सब बह गए दरिया की धार में।

ना कोई शिकवा, ना कोई ग़िला,
बस खुद से मिलन का सुख था,
खोया था जो, पाया है खुद में,
अब दिल में कोई डर नहीं रहता।

इक तरफ़ा था वो प्यार मेरा,
अब दो दिलों का सहारा है,
वक्त की हल्की बारिश ने सिखाया,
खुद से प्यार सबसे बड़ा सहारा है।"**


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