रिश्तों का मजेदार सवाल



"कहाँ थे तुम, कहाँ गए थे?"
बस यही सवाल, वो भी थोड़े जले हुए।
तुम जो कहते हो, "क्यों पूछ रहे हो?"
क्या छुपा रखा है तुमने, खुदा जाने!

अगर तुम थे ठीक वहाँ, जहाँ तुम थे सही,
तो ये सवाल तो बस हवा की तरह हल्की।
पर अगर थे कहीं, जो बताना ना चाहा,
तो ये सवाल लगता है जैसे फायरिंग शुरू हो गया।

सच्चे दिल वाले कहते हैं, "मैं तो तुम्हारे पास था,
दिल से प्यार, आँखों में विश्वास था।"
लेकिन अगर थे तुम कहीं दूर और ग़ैर,
सवाल सुनते ही हो जाते हो बेखबर।

हमारा प्यार, हमारा रिश्ता प्यारा,
सच्चाई से महकता, कोई राज़ नहीं सारा।
बस तुमसे एक सवाल था, बस इतना सा,
कहाँ थे तुम, जो अब तक नहीं आए पास।

पर जान लो, सच्चे दिल का सवाल नहीं,
वो तो बस प्यार से छेड़ने की चाल है।
तुमसे सवाल नहीं, बस तुमसे मिलने की ख्वाहिश,
आओ, दिल से कहूँ, "कहाँ थे तुम, मिसिंग?"


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...