बातों को तुरंत जवाब देना, ये क्या मज़ाक है,
थोड़ा रुक, सांस ले, नहीं तो हो जाएगा खलास!
प्यारे से मेसेज को बाद में देखो,
फोन उठाने की क्या जल्दबाजी है, छोड़ दो!
"तुरंत करो, जल्द करो," ये है जो कहते हैं लोग,
लेकिन जरा सोचो, ये हमारी क्या हालत कर देते हैं भोग!
कभी तो चुपचाप बैठो, खुद से बातें करो,
सपने देखो, ज़िन्दगी को बिना भागे जियो!
थोड़ा रुक कर सोचो, अपनी मानसिक सेहत को सही रखो, क्योंकि मशीन नहीं, इंसान हो तुम!