मदद का धर्म और अपनी सीमाएं



जीवन का यह नियम समझ लो,
हर कोई बचाया नहीं जा सकता।
उनकी मदद करो जो डूब रहे हैं,
पर खुद को डुबाने की गलती मत करना।

जीवन जैकेट फेंको, पर बंधे मत रहो,
उनकी पीड़ा को अपने गले मत लगाओ।
कुछ लोग अपने दर्द में इतने उलझे हैं,
कि तुम्हारे प्रयास भी व्यर्थ हो जाते हैं।

जो नहीं बच सकते, उन्हें छोड़ना पड़ेगा,
यह क्रूर सत्य तुम्हें स्वीकारना होगा।
उनके लिए खुद को न खो देना,
जो अपने ही दुख में उलझे हैं, बेबस बना।

यदि तुम एक के साथ डूब जाओ,
तो उन अनगिनतों का क्या होगा,
जो तुम्हारी मदद से जीवन पा सकते थे,
जो तुम्हारी रोशनी से राह देख सकते थे।

मदद का धर्म बड़ा पवित्र है,
पर अपनी सीमाओं को समझना जरूरी है।
जो बच सकते हैं, उन्हें बचाओ,
पर अपनी आत्मा को कभी न गवांओ।

याद रखो, हर जीवन मूल्यवान है,
पर तुम्हारा भी उतना ही।
दूसरों की पीड़ा में खुद को मत खोओ,
सहानुभूति और विवेक का संतुलन संजोओ।


कभी-कभी त्याग करना मदद का ही हिस्सा है।
उनकी मदद करो जो इसे स्वीकार कर सकते हैं।
और जो नहीं बच सकते, उन्हें जाने दो,
क्योंकि तुम्हारा जीवन भी उनके जितना ही महत्वपूर्ण है।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...