प्रेम का प्रतीक


जब ह्रदय की पुकार सुनाई दे,
तेरे रूप का दर्शन हो सजीव।
मन के स्पंदन में तुम हो समाहित,
प्रेम का यह अनुभव अति सजीव।

मोहब्बत तो हर कोई कर लेता है,
पर प्रतीक्षा और वफा, तपस्या का मार्ग है।
यह साधना है आत्मा की, गहन समर्पण से जुड़ा,
जो हर किसी के वश की बात नहीं।

संयम और श्रद्धा का यह पथ,
जहाँ प्रेम की अग्नि से तपना होता है।
जो सह सके इस अग्निपथ को,
वही सच्चे प्रेम का अधिकारी होता है।

इस प्रेम यात्रा में साधक बन,
हर बाधा को सहजता से सहना होता है।
प्रेम की इस पवित्र साधना में,
हर मनुष्य का ह्रदय स्थिर नहीं रहता।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...