मदद का असल रूप




यह नहीं कि तुम स्वार्थी हो,
कभी मदद करनी है, कभी नहीं।
जब दिल से करना हो मदद,
तभी मदद की राह पर चलो, बिना किसी अंतर के।

यह नहीं कि बीच का कोई रास्ता है,
या तो तुम हो, या नहीं हो।
जब किसी को देना हो सहारा,
तो पूरे दिल से देना चाहिए, बिना किसी शक के।

मदद सिर्फ बातों में नहीं होती,
कभी पूरी तवज्जो से, कभी नासमझी से।
जो दिल से मदद करना चाहते हैं,
वो किसी भी परिस्थिति में खुद को न रोकें।

और जब तुम खुद न चाहो,
तो न करना ही बेहतर है।
क्योंकि अधूरी मदद कभी नहीं बनती,
कभी भी किसी को असमर्थ महसूस करवा देती है।

मदद या तो हो पूरी, या बिल्कुल नहीं,
यहां कोई बीच का रास्ता नहीं।
सच यही है, जो दिल से नहीं कर सकते,
वो मदद के नाम पर खुद को नहीं बहलाएं।

वो जो नहीं चाहिए



जो हमेशा दुखी रहते हैं,
उनसे दूरी बनाना है।
उनके भीतर की गहरी शून्यता,
तुम्हारे भीतर भी समा ना जाए।

जो किस्मत से हार चुके हैं,
उनसे खुद को बचाना है।
उनकी नकारात्मकता की लहरें,
तुम्हें भी डुबो ना जाएं, यह समझाना है।

जो स्वस्थ नहीं हैं,
उनकी समस्याओं से दूर रहो।
क्योंकि उनकी बीमारी का कारण,
तुम्हारे जीवन में भी फैल सकता है, यह जानो।

इनमें से हर किसी के जीवन में,
एक कारण है जो इन्हें यहाँ लाया है।
पर तुम्हारा रास्ता अलग है,
सही ऊर्जा के साथ अपना मार्ग बनाओ, यही सिखाया है।

सच यह है, इनसे बचो,
इनकी परिस्थितियों से दूर रहो।
उनकी यात्रा उनकी है,
तुम्हारी यात्रा तुम्हारी हो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...