तपस्या की राह में,

त्याग की थी तपस्या मैंने, करियर की राह में,
फिर भी वो मंज़िल ना मिली, जो हक़दार था मैं।

मेहनत की थी दिन-रात, सपनों को सजाने में,
पर वो फल ना मिला, जो उम्मीदों में बसा था।

जीवन की इस कशमकश में, बस एक सीख मिली है,
तपस्या की राह में, सच्चाई की पहचान जरूरी है।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...