बारीश की फुहारों में सब कुछ बेज़ुबाँ हो गया।
धरती ने पहन ली हरियाली की चुनरी हरी,
प्यासी रूहों को मिला जैसे जीवन का पानी।
आसमान से बरसती हैं खुशियाँ अनमोल,
बारीश की बूँदों में छिपा है हर दिल का राज़।
क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...