बारीश की फुहारों में सब कुछ बेज़ुबाँ हो गया।
धरती ने पहन ली हरियाली की चुनरी हरी,
प्यासी रूहों को मिला जैसे जीवन का पानी।
आसमान से बरसती हैं खुशियाँ अनमोल,
बारीश की बूँदों में छिपा है हर दिल का राज़।
कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...
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