दोस्ती की राहें कभी सीधी नहीं होतीं,
कभी चुप्प, कभी दूरियाँ, कभी खोई हुई बातें होतीं।
जब जवाबों में देर होने लगे,
समझो कहीं दिल की दूरी बढ़ने लगे।
जवाब पहले जितने थे ताजे और प्यारे,
अब वही जवाब हुए ठंडे और थमे, जैसे कोई जंजीर टूटने से डराए।
बातों में कमी, संवाद में दूरी,
ये चुप्पी ही होती है दोस्ती की असल उलझी हुई कहानी।
कभी दोस्ती शोर से नहीं, बल्कि सन्नाटे से मर जाती है,
जहाँ मिलन से ज्यादा, तन्हाई महसूस होती है।
पर ये दूरी अक्सर चुपके से बढ़ती है,
कोई धमाका नहीं, बस धीरे-धीरे खत्म होती है वो छांव, जो पहले सबको मिलती थी।
लेकिन अगर आप चाहते हैं दोस्ती को फिर से संजीवित करना,
तो समय नहीं, बल्कि दिल की सच्चाई से उसे पहचानो।
इसीलिए, कभी दो कदम और बढ़ाओ,
और दिल से दिल की बातें फिर से समझाओ।
जब तुम अपनों को अपनी अहमियत महसूस कराओ,
तो नीरस समय भी फिर से चमकने लगे।
याद रखो, दोस्ती सिर्फ समय नहीं,
बल्कि हर छोटे इशारे से बनती है, हर एक पहलू को समझने से।