प्राकृतिक सौंदर्य से भरी कविता

पंछियों की खुशबू सा, तितलियों की लहर,
नदियों की गहराई से, झरनों की धार।

हवा की लहराती धारा, खेतों की हरियाली,
खलियान की खुशबू से, भरी हर चाली।

चीड़ के पेड़ की ऊंचाई से आँगन में छाया,
नाग देवता की पूजा से, भव्यता की माया।

प्राकृतिक सौंदर्य से भरी हर कविता,
जीवन की अनंत गाथा, निरंतर नई मीता।

प्रेम और संवाद की धारा, सदा बहती रहे,
सृष्टि की सुंदरता में, हमेशा बसती रहे।

इन सब रूपों में, प्रकृति की अनंत विलासिता,
यही है जीवन की सही विशेषता, यही है हमारी विरासत।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...