स्नेह की राह पर चलते

स्नेह की राह पर चलते,  
प्रेम के रंग में खिलते।  
दोस्ती की बातें जो छाई,  
हॉस्टल की यादें सजी।  

आम्रपाली लोटस के नाम से,  
हॉस्टल की यादें बनीं दाम से।  
खाना साथ खाने का मजा,  
जीवन की रंगीन रजा।  

नए ज्ञान की किरणें चमके,  
कॉलेज की चारों दीवारों में झलके।  
काम का दायित्व नया,  
हर चैप्टर में नया मिला।  

रोज की जिंदगी में संग स्नेह का मिलना,  
इन लम्हों में खुद को ही खो जाना।  
इंदिरापुरम से नोएडा की यात्रा,  
स्नेह से मिलकर बनी प्यारी कहानियाँ।  

जीवन की कविता हर पल नयी,  
खुद को खोजते हुए हर रोज लगती है जरुरी।  
स्नेह, प्रेम, दोस्ती की गहराई,  
हर रोज को बनाती है जिंदगी को सुंदरी।

स्नेह का साथ

स्नेह की राह पर चल,
प्रेम के गीत गाते चल।
दोस्तों के साथ हंसते-खेलते,
हॉस्टल की लाइफ में खो जाते।

आम्रपाली की मिठास और लोटस का रंग,
हॉस्टल के खाने में बसा एक संग।
नये-नये चैप्टर का खुला दरवाजा,
कॉलेज की कैंटीन में हर दिन कुछ नया।

इंदिरापुरम से नोएडा की राह,
स्नेह का साथ, खुशियों का एहसास।
रोज़मर्रा की जिंदगी में खोज,
खुद को पाने का हर एक मोज़।

लोगों से मिलते, बातें करते,
जीवन के रंगों में खुद को बिखेरते।
स्नेह का साथ, हर पल मिले खुशियाँ,
इस जिंदगी की कविता, अब समाप्त यहाँ।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...