जो नौकरी नहीं है, वो शायद मैंने ही खो दी,
चुप रहा, खुद को साबित न कर पाया, यही सच्चाई बड़ी।
पर यह नहीं, कि मेरी काबिलियत कम हो,
बस मुझे अपने इरादों को और बेहतर तरीके से साबित करना था।
लोगों को समझाना, वो कला सीखनी है,
जो सही समय पर अपनी बात मनवाए, वही जीतनी है।
संकोच में न फंस, बिना डर के अपनी बात रखो,
जो दूसरों के दिल तक पहुंचे, वही कामयाब होकर दिखलाओ।
कभी खुद से सवाल कर, क्या मैंने पूरी कोशिश की?
क्या मैं दूसरों को अपनी ताकत समझा पाया?
इस रास्ते पर हर कदम और सीखने की बात है,
क्योंकि सफलता उसी की होती है जो कभी हार नहीं मानता।
अब मैं सीखूंगा, कैसे लोगों को समझाऊं,
अपनी मेहनत और काबिलियत से, सबको जीत लाऊं।