गम के समंदर में भी दुख से मिलते।
पर जीना सिखा, मुस्कान में हंसते,
सपनों को पाने की राह में बढ़ते।
चलो उड़ान भरें, सपनों के परिंदे,
ख्वाबों को सच करें, इस धरा के बिन्दे।
हर सुबह नई राह की रोशनी हो,
जीने का मतलब, सपनों को पाना हो।
क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...