दर्द और गुणों का मेल



दर्द स्वयं में न तो शत्रु है, न मित्र,
यह तो बस एक अनुभव है, जीवन का चित्र।
पर इसका प्रभाव, इसका परिणाम,
निर्भर करता है, हम इसे कैसे लें स्वीकार।

अगर अपनाओ इसे गुणों के संग,
तो यह बनेगा शक्ति का अंग।
सहनशीलता का पाठ सिखाएगा,
और आत्मा को और गहराई देगा।

पर यदि इसे ठुकराओ या घृणा करो,
यह भीतर ही भीतर तुम्हें छला करेगा।
असंतोष और क्रोध के बीज बो देगा,
और आत्मा को अशांति में डुबो देगा।

गुण ही बनाते हैं दर्द को रचना,
वरना यह बन सकता है विनाश का सपना।
धैर्य, करुणा, और आत्मा की रोशनी,
दर्द को बदलते हैं जीवन की संगिनी।

जो इसे स्वीकार करे खुले हृदय से,
वही देख सकता है इसके छिपे वरदान से।
पर जो इसे ठुकराए अज्ञानता के कारण,
वह खो देगा अपने जीवन का सच्चा सारण।

इसलिए, दर्द को समझो, इसे गले लगाओ,
गुणों के संग इसे जीवन में अपनाओ।
तभी यह बनेगा तुम्हारा सहारा,
वरना यह बढ़ाएगा केवल दु:ख का पिटारा।

दर्द, केवल माध्यम है बदलाव का,
पर दिशा तुम्हारी सोच पर निर्भर है।
तो चुनो गुण, और बनाओ इसे एक अवसर,
वरना यह रह जाएगा केवल एक अभिशाप का सफर।


बारिश की बूंदें जब धरती को चूमती हैं

बारिश की बूंदें जब धरती को चूमती हैं,  
तो उसका मीठा रस दिलों को मोह लेता है।  
कभी ये बूंदें सुखद ठंडक लाती हैं,  
कभी ये बाढ़ बनकर विपदा में भी आ जाती हैं।

पहाड़ों पर जब बारिश की बौछारें बरसती हैं,  
तो नदियाँ अपने जल से भर जाती हैं।  
समुद्र की लहरें और ऊँची हो जाती हैं,  
और प्रकृति की ये लीला हमें सोचने पर मजबूर कर जाती हैं।

बारिश का सौंदर्य कभी रोमांस का गीत गाती है,  
कभी प्रेमियों की आँखों में सपनों की बुनाई करवाती है।  
पर जब ये विपदा का रूप धारण करती है,  
तो लोगों के जीवन में कठिनाई की बुनाई करवाती है।

फिर भी, बारिश की बूंदें हमें याद दिलाती हैं,  
कि प्रकृति की हर आशीष में दो रूप छुपे होते हैं।  
कभी मीठी, कभी खट्टी, ये बारिश की कहानी,  
हमारे जीवन की भी होती है एक सच्ची कहानी।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...