भाग्य रचयिता



कभी मत देखो वास्तविकता की ओर,
सपनों की उड़ान हो तेरी मंज़िल की डोर।  

सफलता का जोश हो तेरे दिल में,
मान ले, जीत तुझसे ही होगी हर पल में। 

भ्रम में जी, पर खुद पे यकीन रख,
तू ही नायक है, बस अपने कदमों पे टिक।

तू सोच, तेरी मंज़िल तेरे पास है, 
सपनों के सफर में, अब कोई न दूर है।

दुनिया जो कहे, वो कहती रहे,
तेरा भरोसा खुद पे, तुझे मंज़िल तक ले चले।

भविष्य की चिंता छोड़, बस आज का संकल्प कर, 
सपनों को हकीकत बना, तू अपने भाग्य का रचयिता बन |

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...