4. Aadat ya Aakarshan (Mental and emotional craving)
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हर अकेलेपन में देह याद आती है,
हर विरक्ति में भी वासना मुस्काती है।
पर क्या ये सचमुच प्रेम है कोई?
या बस आदत की गुलामी है थोड़ी?

मन की माया, देह का नृत्य,
कभी लय में, कभी अशांत।
पर जब भी तू भीतर उतरता है,
हर इच्छा का होता है अंत।_