माँ का स्पंदन



मैं था अभी अयोनिज,
पर तेरे हृदय की धड़कन मेरी लय बन चुकी थी।
तेरी साँसों की गूंज में,
मैंने अपने पहले सुर का संधान किया था।

तेरी अनुभूतियाँ,
मुझमें बीज की भाँति रोपित थीं।
तेरा प्रेम, तेरी पीड़ा, तेरी प्रसन्नता,
सब कुछ मेरे रक्त में प्रवाहित था।

मैंने जाना प्रथम भय,
तेरी अश्रुओं की नमी से।
मैंने जाना प्रथम प्रेम,
तेरे थपकते स्पर्श से।

तेरे गर्भ का अंधकार भी उजास था,
तेरे भीतर की हलचल मेरा प्रथम संवाद।
मैं तेरी स्मृतियों का विस्तार हूँ,
तेरे कर्मों की प्रतिध्वनि।

अब जब मैं चलता हूँ,
तू मेरी छाया में चलती है।
मेरे शब्दों में तेरी वाणी,
मेरे मौन में तेरा आत्मा-स्पर्श।

माँ, मैं तुझमें था,
और अब तू मुझमें है।


छाँव की तरह कोई था

कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...