कभी डूबते को सहारा दो, पर खुद को मत डुबाओ,
सच्चाई का दीप जलाकर, विवेक का मार्ग अपनाओ।
जीवन का यह धर्म सिखाता, मदद करना पुण्य बड़ा,
पर अपनी डोरी से बंधकर, न बनो स्वयं की व्यथा।
जीवन जैकेट फेंक दो, पर बंधना तुमको नहीं,
जो खुद डूबे दर्द में, उनको थामो कभी नहीं।
हर पीड़ा में धैर्य रखो, पर सीमा का ध्यान रहे,
जो खुद खींचे गहराई, उनसे दूरी कायम रहे।
जो नहीं बच सकता है, उसे जाने देना सीखो,
अपने भीतर के दीपक को, हर क्षण जलाए रखो।
जो कर्तव्य तुम्हारा है, बस उतना ही निभा सको,
जो अडिग दुख में बसा, उसे मुक्त कर सको।
सामर्थ्य तुम्हारा अनमोल है, उसे व्यर्थ न जाने दो,
जो जीवन से लड़ने को तैयार, उन्हें साथ में थामो।
एक डूबा संग खींचेगा, सौ औरों को डूबा लेगा,
अपनी नाव की डोर थामो, यह कर्म तुम्हारा फलेगा।
जीवन का संतुलन है यह, प्रेम और विवेक का मेल,
जो डूबे, उनको राह दिखाओ, पर खुद को बचाना खेल।
त्याग भी धर्म का हिस्सा है, यह सत्य को पहचानो,
हर दया का मूल्य समझकर, अपनी राह को जानो।