अलपस्य तृप्ति: परमो लाभ:



जीवन की भागदौड़ में, हम भूल जाते हैं,
छोटे-छोटे सुख जो रोज़ साथ आते हैं।
साँस लेना, चलना, देखना ये सब,
कितना बड़ा वरदान है, समझें ये सब।

जो आँखों से देखें रंग-बिरंगी दुनिया,
सोचो उनका क्या जो केवल अंधेरा चुनिया।
हर कदम जो चलता है सफर पर तुम्हारा,
उनके लिए सोचो जो बैठा है बेचारा।

साँसों का आना-जाना, एक जादू है,
श्वास में जीवन का बहता समुद्र है।
हर कौर जो पेट में सुख पहुंचाता है,
उसका महत्व भूखा ही समझ पाता है।

सोने की शक्ति जो सुकून दे रातों में,
कितनों को नींद नसीब नहीं बरसों में।
जो साधारण लगता है, वही असाधारण है,
इन छोटी चीज़ों में छुपा जीवन का ब्रह्मांड है।

ईश्वर ने जो दिया, उसका मान करो,
हर पल का आनंद लो, अभिमान न करो।
जीवन के छोटे सुखों को जो पहचानता है,
वही सच्चा सुखी और धनवान कहलाता है।

अलपस्य तृप्ति: परमो लाभ:।"
(छोटे में संतोष ही सबसे बड़ा लाभ है।)

इसलिए जीवन की सरलताओं का मोल जानो,
छोटी चीज़ों में बड़ा सुख पाओ।


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