मेरे अपने रास्ते की शुरुआत



जब तक मैं अपने आदर्श रूप की कल्पना करता रहूँ,
तब तक वो केवल मेरे मन में बसा रहेगा,
लेकिन जब मैंने उसे साकार करने का निर्णय लिया,
तो पाया कि यह बहुत आसान था,
सिर्फ शुरुआत करने की देर थी।

मैंने खुद को जगाया,
सपनों को जागृत किया,
सुबह अलार्म बजते ही उठकर,
जिम की ओर कदम बढ़ाए।

जो कभी टालता था,
अब उसे करता हूँ आज ही।
स्वस्थ आहार, सही विकल्प,
यह सब मेरे लिए अब बन चुके हैं आदतें।

जो मैं कल से टालता था,
आज उसे अब करने की ताकत है मुझमें।
कभी मेहनत को बड़ा समझता था,
अब उसे नयापन बना लिया है।

मुझे अब यह समझ आया,
सपने तब तक सपने रहेंगे,
जब तक मैं उन्हें हकीकत में बदलने का काम नहीं करता।
यह यात्रा अब शुरू हो चुकी है,
और मेरे लिए अब कोई रास्ता नहीं है,
सिर्फ आगे बढ़ने की राह है।

अब या कभी नहीं!
कोई रास्ता नहीं दिखेगा,
तो मुझे खुद अपनी राह बनानी होगी,
क्योंकि कोई और नहीं आएगा मुझे वहाँ तक पहुँचाने।


अँधेरे

इस अँधेरे के पीछे  कहीं  एक उजाला छुपा  है
उस उजाले मे छुपी  है एक किरण
उस किरण मे है एक रौशनी
वो रौशनी  जो जगमगाए  इस अँधियारे  मे
 जहाँ है मुर्दो  की बस्ती 
बस्ती  मे है जिन्दा लाशें 
जो लड़ रही है सिर्फ  जीने के लिए
पर उसे फिर भी जीना  नहीं आता
बाहर  से कोई कितना भी
अपने आप को जिन्दा दिखाए 
 मगर अंदर  से तो पूरा मरा है
मरा   है अज्ञानता  से
मरा  है जरूरत  से
सपनो को मारकर भी जो 
सोचते हैँ की वो सपने पूरे कर रहे हैँ
वो अँधेरे  मे जी रहे हैँ.

#दीपक डोभााल. 

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...