जब टूटता है दिल,
तो सन्नाटा सबसे ज़्यादा सुनाई देता है।
कोई शब्द नहीं, कोई सहारा नहीं,
बस मैं और मेरी आत्मा की गूंज।
जो भी मैंने खोया,
वो सब मेरे भीतर ही था।
जब दूसरा कोई नहीं था,
तब खुद को फिर से पाया।
न किसी का सहारा लिया,
न किसी को अपनाया,
बस अपने दर्द में घूमा,
और अपनी शक्ति को फिर से पहचाना।
उलझन, आंसू, और खामोशी,
सभी को मैंने अपनी राह में बदला।
हर टुकड़ा टूटकर,
नई ज़िंदगी में रचा।
आखिरकार, यह अकेलापन ही था
जो मुझे खुद से मिलाया।
जो खो गया था, वो अब फिर से पाया,
एक नई शक्ति, एक नई शुरुआत,
मैं ही अपनी असली दवा हूँ।
स्वयं से उपचार सबसे कठिन है,
पर यही मुझे सबसे मजबूत बना गया।