मित्रता, यह शब्द मैं जितना सोचता हूँ, उतना यह जटिल लगता है,
कभी यह शुद्ध प्रेम है, कभी यह परिभाषा के बाहर एक अनुभूति है।
जब तक तुम समझ नहीं पाते, यह सवाल जीवन भर घूमता रहेगा,
क्या है सच्ची मित्रता, क्या है उसका अर्थ? यह एक गहरी पहेली है, जिसे हल करना मुझे है।
मित्रता है बिना यौनाकर्षण का प्रेम,
यह वह प्रेम है, जो शारीरिक सीमाओं से परे है,
यह वह प्रेम नहीं जो केवल आकर्षण से उपजता है,
यह प्रेम है, जो आत्मा से आत्मा का मिलन है।
जब तुम सोचते हो कि तुम प्रेम में हो,
तुम सिर्फ हार्मोन के झुके हुए तंतु हो,
यह प्रेम नहीं, यह बस एक आकर्षण है,
जो शरीर के रसायन से संचालित होता है।
लेकिन सच्ची मित्रता, वह तो तब होती है,
जब आत्मा, किसी भी शारीरिक आकर्षण से मुक्त होती है,
और जब तुम्हारा संबंध केवल तुमसे होता है,
तुम्हारी अच्छाई से, तुम्हारी सच्चाई से।
मित्रता का मतलब है बलिदान,
अपने आप को, अपनी स्वार्थ से परे कर देना,
यह कोई व्यवसाय नहीं, यह पवित्र प्रेम है,
जो बिना किसी अपेक्षा के होता है।
सच्ची मित्रता का अर्थ है,
किसी और को खुद से अधिक महत्वपूर्ण मानना,
यह वही है, जो किसी की मदद करने पर भी
खुद के अस्तित्व का अहसास नहीं होने देता।
कभी यह मित्रता टूट जाती है,
कभी यह शत्रुता में बदल जाती है,
क्योंकि मित्रता, मैत्री के मुकाबले छोटी है,
मैक्यावली की तरह, यह कभी बदल सकती है।
वह जो आज तुम्हारा मित्र है,
कल तुम्हारा शत्रु बन सकता है,
यह मानव मन की अचेतन स्थिति है,
जो प्रेम में भी नफरत छुपाए बैठा है।
मैत्री वह प्रेम है, जो स्थिर और अपरिवर्तनीय है,
यह आत्मा की गहराइयों से निकलता है,
यह उस सत्य की पहचान है, जो कभी नहीं बदलता।
जब तुम स्वयं के प्रति सजग होते हो,
तब मित्रता से भी बढ़कर कुछ पाते हो—
वह है मैत्री, एक व्यापक आकाश,
जो कभी भी विपरीत में नहीं बदलता।
यह वह सुगंध है, जो शब्दों से परे है,
यह वह एहसास है, जिसे समझा नहीं जा सकता,
जो कभी भी पकड़ में नहीं आता,
लेकिन हर सांस में महसूस होता है।
मैत्री वह सूरज है, जो तुम्हारे भीतर चमकता है,
और इस रौशनी में सभी संसार को देखता है,
यह प्रेम का सबसे पवित्र रूप है,
जो शब्दों से परे, अनुभवों में गूंजता है।
सच्ची मित्रता में कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं होती,
यह केवल प्रेम और जागरूकता का मिलन है,
जो तुम्हारे अंदर से निकलता है,
और जैसे ही तुम दूसरों से मिलते हो,
वह उन्हें भी उसी प्रेम में समेट लेता है।
यह एक चिरस्थायी बंधन है,
जो न केवल मनुष्य से जुड़ा है,
बल्कि पूरे अस्तित्व से जुड़ा है—
पेड़, पशु, पर्वत और नदियाँ भी इसका हिस्सा हैं।
इसलिए, जब तुम मुझसे पूछते हो,
सच्ची मित्रता क्या है?
मैं कहता हूँ, यह केवल प्रेम नहीं है,
यह वह प्रेम है, जो आत्मा को छूता है,
जो न तो कभी बदलता है,
न ही कभी टूटता है,
यह वह सच्चाई है,
जो केवल तुम स्वयं अनुभव कर सकते हो।
मैत्री वह राज्य है,
जहां न कोई मित्र होता है,
न कोई शत्रु,
यह केवल अस्तित्व के प्रेम का विस्तार है,
जो हर वस्तु और प्राणी में समाहित है।
और यह प्रेम,
तुम्हारे भीतर से,
तुम्हारी सच्चाई से आता है,
जो कभी भी विपरीत नहीं होता।
तुमने पूछा, सच्ची मित्रता क्या है?
यह एक गहरी, विराट यात्रा है,
जिसे शब्दों से नहीं,
सिर्फ अनुभव से जाना जा सकता है।
जब तुम सच्चे हो, जब तुम पूरी तरह से सजग हो,
तब तुम्हारा प्रेम, तुम्हारी मित्रता,
सब कुछ बन जाती है—
यह अस्तित्व के संगीत की एक ध्वनि है,
जो हर दिल में गूंजती है,
और इस ध्वनि में तुम्हारी सच्ची मित्रता भी समाई है।