त्याग तपस्या की राह चली

त्याग तपस्या की राह चली, सपनों का था जहां बसा,
मेहनत की हर इक कड़ी, उम्मीदों का था जहाँ धरा।

मिले न वो फल तपस्या के, चाहा था जो मन में हमने,
फिर भी चलते रहे इस सफर, मंज़िल की ओर बढ़ते हमने।

छोड़ न पाया उम्मीदों को, चाहे जो भी हो रास्ता,
कभी तो चमकेगी किस्मत, संघर्ष का देख नतीजा।

श्वासों के बीच का मौन

श्वासों के बीच जो मौन है, वहीं छिपा ब्रह्माण्ड का गान है। सांसों के भीतर, शून्य में, आत्मा को मिलता ज्ञान है। अनाहत ध्वनि, जो सुनता है मन, व...