त्याग तपस्या की राह चली

त्याग तपस्या की राह चली, सपनों का था जहां बसा,
मेहनत की हर इक कड़ी, उम्मीदों का था जहाँ धरा।

मिले न वो फल तपस्या के, चाहा था जो मन में हमने,
फिर भी चलते रहे इस सफर, मंज़िल की ओर बढ़ते हमने।

छोड़ न पाया उम्मीदों को, चाहे जो भी हो रास्ता,
कभी तो चमकेगी किस्मत, संघर्ष का देख नतीजा।

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