कमी

जब नजर जाए किसी और को,
उसके पास दौलत और शो बहुत हो,
इसे देख मन में उठता है सवाल,
क्या मेरे पास भी है कमी का ख़्याल।

क्या जिन्दगी की रूठी हर बात,
कमाई का मोह और मनमानी की राह,
मेरी अदायगी में छुपा है रहस्य,
क्या मेरे अंदर भी छिपी है कोई कमी।

नहीं, नहीं, यह विचार बेहद गलत,
मेरे अंदर की अमूल्य निधि है यहाँ।
प्यार, समझदारी, और सच्चाई की बात,
ये हैं मेरे सच्चे धन, मेरा सच्चा रत्न।

धन की दौलत और शो की चमक,
उड़ जाती हैं वक्त के संग,
पर सच्चाई की रौशनी निरंतर,
जीवन के सार को मिलाती है वहम से दूर।

तो ना रहे मन में यह विचार कमी का,
क्योंकि मेरी अंदर छुपी है ख़ासियत की अमूल्य बरसात।
धन और शो का खेल हो जाए खत्म,
मेरे सच्चे धन, मेरा आत्म-सम्मान, नित संग रहे साथ।

आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...