सीमाओं का सामर्थ्य



सच्ची ताकत होती है सीमाएँ तय करना,
मदद देना, लेकिन खुद को न खोना।
हां, एक हाथ बढ़ा सकते हो तुम,
पर किसी और की अराजकता से डूबने मत देना खुद को।

शांति की रक्षा करना ज़रूरी है,
यह स्वार्थ नहीं, यह अस्तित्व की बात है।
जब तक खुद का संतुलन कायम है,
तब तक ही दूसरों के लिए रास्ता खोलो, यही सही है।

हर किसी का संघर्ष उसका है,
तुम्हारी शांति, तुम्हारा कर्तव्य।
अपनी सीमा में रहकर,
कभी न किसी की गड़बड़ी में खो जाना है।

मदद करना है, तो पूरी समझ से करो,
लेकिन अपनी दुनिया को तोड़कर नहीं।
क्योंकि अपनी शांति को बचाकर रखना,
यह किसी के लिए नहीं, खुद के लिए जरूरी है।


मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...