संसार की अनंतता



देखो उस चित्र को, क्या तुमने देखा?
हर बिंदु, एक आकाशगंगा का संकेत है,
और हर आकाशगंगा में, सौ अरब सितारे हैं,
उनमें से हर सितारे के पास एक ग्रह है, जो उसका साथी है।

इस छोटे से चित्र में, ब्रह्मांड की अपारता छिपी है,
क्या कह सकता हूँ मैं, यह विचार मेरे मन को घेरता है।
हर सितारा, हर ग्रह, अपनी ही यात्रा में बसा है,
और मैं—मैं तो एक अदृश्य धुंध हूँ, इस विशालता में खोया हूँ।

यह जो आकाशगंगाएँ हैं, अनगिनत हैं,
हर आकाशगंगा में कितने रूप, कितनी जीवनरेखा है।
सभी ब्रह्मांड, सर्वव्यापी के अर्थ में बसी हैं,
और मैं, एक बूँद, इस महासागर में समाया हूँ।

यह विचार मुझे बेतहाशा सोचने पर मजबूर करता है,
क्या हम सच में महत्व रखते हैं, या हम सिर्फ एक तुच्छ बिंदु हैं?
"मायाम"  की परिभाषा इस ब्रह्मांड में पूरी होती है,
जहाँ हमारा अस्तित्व, एक क्षणभंगुर अंश बनकर नष्ट हो जाता है।

सिर्फ़ एक क्षण में, मैं आकाशगंगाओं की अनंतता को महसूस करता हूँ,
और फिर यह समझ आता है—हम कितने छोटे हैं।
लेकिन क्या हम इसी अदृश्यता में अपनी "स्वयंता"  को पा सकते हैं?
क्योंकि इस विशालता में, यही सत्य है—हम सभी, एक अदृश्य धारा के समान हैं।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...