स्वयं की अनुभूति



स्वयं की अनुभूति,
एक दीपक है,
जो जलता है भीतर,
और रोशन करता है संसार।
यह वह अग्नि है,
जो न केवल तुम्हें,
बल्कि हर दिशा को प्रकाशित करती है।

जब तुम स्वयं को जान लेते हो,
तो जगत को समझ लेते हो।
अपने सत्य को अपनाने में,
तुम वह उदाहरण बनते हो,
जो प्रेरणा देता है दूसरों को।

यह सबसे बड़ी सेवा है,
न शब्दों में,
न कर्मों में,
बल्कि तुम्हारे होने में।
एक शांत शक्ति,
जो हर आत्मा को छू लेती है।

स्वयं को पहचानो,
और यह पहचान
संसार को बदल देगी।
क्योंकि तुम्हारे भीतर
पूरा ब्रह्मांड समाया है।


चुनाव और परिणाम


चुनने की आज़ादी है, हर किसी को मिली,
चाहे रास्ता सीधा हो, या हो टेढ़ी गली।
पर भूल न जाना, हर चुनाव का हिसाब,
परिणाम भी देंगे दस्तक, चाहे कोई हो जवाब।

जो बोओगे वही तो फसल बनकर आएगी,
चाहे हंसी की महक, या दर्द की परछाई होगी।
आज़ादी है उड़ने की, हर आकाश में,
पर नीचे की ज़मीन भी जिम्मेदारी याद दिलाएगी।

सोच-समझकर कदम बढ़ाओ, यही है खेल,
क्योंकि निर्णय तुम्हारे हैं, और उनके परिणाम भी रेल।
जीवन एक पुस्तक है, तुम लेखक हो इसके,
पर हर पन्ने पर, तुम ही रहोगे उत्तरदायी इसके।

तो चुनो समझदारी से, आगे बढ़ो ध्यान से,
क्योंकि परिणाम तुम्हारा ही होगा, हर निशान में।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...