नास्तिक और आस्तिक - यह दो विचारशीलताओं के बीच का विवादित विषय है जिसमें खुशी के मापदंड के रूप में एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाता है। यह सोचने का सवाल है कि कौन ज्यादा खुश और संतुष्ट है - धार्मिक विश्वास रखने वाले आस्तिक या धार्मिक विश्वास नहीं रखने वाले नास्तिक।
आस्तिक विचारधारा के अनुयायी अपने धार्मिक विश्वासों में आनंद और सुख का आनंद लेते हैं, जो उन्हें उनके जीवन के अर्थ में सामंजस्य और आत्म-संतुष्टि प्रदान करता है। उनकी आध्यात्मिकता उन्हें आध्यात्मिक साथी के साथ एकत्रित करती है और उन्हें आदर्श जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
वहीं, नास्तिक विचारधारा के प्रतिष्ठात्मक अनुयायी धार्मिक विश्वासों को अस्वीकार करते हैं और अपने जीवन को विज्ञान, तर्क, और अनुभव के आधार पर आधारित करते हैं। उनकी खुशी और संतुष्टि अकेलापन और स्वतंत्रता के अनुभव से आती है, जो उन्हें अपने जीवन के प्रत्येक पहलू में स्वतंत्र बनाता है।
हालांकि, इस विवाद को समझने के लिए विभिन्न पारंपरिक और आधुनिक धार्मिक समुदायों के अनुयायियों के साथ अध्ययन की जरूरत होती है। धार्मिकता और नास्तिकता दोनों ही प्रतिष्ठान्वित विचारधाराओं में अपनी अहमियत और महत्त्व को लेकर समान रूप से विचार की जानी चाहिए।