इंट्रोवर्ट की सादगी



इंट्रोवर्ट का मन है सरल और सच्चा,
न कोई उलझन, न कोई दिखावा, बस यही उनकी रचना।
वे शब्दों में खोने की बजाय, चुप रहना पसंद करते हैं,
जिन्हें वो समझते हैं, वही लोग अपने होते हैं।

जब तुम उन्हें गलत समझोगे या चोट पहुँचाओगे,
वो तुम्हारी दोस्ती से खामोशी से बाहर निकल जाएंगे।
कोई हंगामा नहीं, कोई तकरार नहीं,
बस चुपचाप रुकेंगे और फिर अपनी राह पर बढ़ जाएंगे।

वे न तुम्हें तंग करेंगे, न किसी से बदला लेंगे,
बस धीरे से उस रिश्ते से बाहर निकल जाएंगे।
जीवन में शांति की तलाश में,
न कोई तनाव, न कोई आहत, बस खुद से जुड़ेंगे।

उनकी सादगी में ही उनकी शक्ति छुपी है,
इंतजार नहीं, बस चलते जाना उनका तरीका है।
जब वो तुम्हें छोड़ते हैं, तो ये कोई चिल्लाहट नहीं,
बस चुपचाप, बिना किसी शब्द के, ख़ामोशी से बिछड़ना है।


मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...