मन को जीतने की कला



जो मैंने चाहा, वो मिला नहीं,
क्योंकि कोशिशें अधूरी रही, संजीवनी नहीं।
जो समझा नहीं, उसे समझाना है,
दूसरों को भी अपना विश्वास दिलाना है।

कभी शब्दों से, कभी नजरों से,
कभी हंसी से, तो कभी व्यवहार से।
जब तक दिल न जीतें, तब तक न रुकें,
जिंदगी के हर रिश्ते में एक गहरी धारा बुनें।

लोगों को समझाना सिर्फ कला नहीं,
यह एक तरीका है दिलों को जोड़ने की शक्ति।
जो नहीं समझे, उन्हें सिखाना पड़ेगा,
अपने विचारों को सही दिशा में मोड़ना पड़ेगा।

खुद को पहचानो, अपने विचारों को समर्पित करो,
जब तक खुद को न जानें, दूसरों से उम्मीद मत करो।
सिर्फ शब्द नहीं, दिल की बात हो,
तभी लोग आपका साथ देंगे, आपकी राह दिखाएंगे।

सीखो, समझाओ और दिल जीत लो,
जो नहीं पाया, उसे एक कदम और पास लाओ।


आधी-अधूरी आरज़ू

मैं दिखती हूँ, तू देखता है, तेरी प्यास ही मेरे श्रृंगार की राह बनती है। मैं संवरती हूँ, तू तड़पता है, तेरी तृष्णा ही मेरी पहचान गढ़ती है। मै...