खेतों की खुशबू,

पंछियों की आवाज़, तितलियों की लहर,
नदियों की धारा, झरनों का प्यार।

हवाओं की सरगम, खेतों की खुशबू,
खलियानों की आबरू, चीड़ों का गुणवत्ता।

नागों की विशालता, देवताओं की शान,
हर एक प्राणी, प्रकृति की मान।

इन सबका मिलना, एक अद्भुत संगम,
सृष्टि का रहस्य, इसमें है समाहित हम।

प्रकृति की महिमा, अनंत गीत,
इस सारे जगत की, है यही विशिष्ट सृष्टि।

धरती की शांति, आसमान का अनंत,
इन सब में बसी है, हमारा शान्ति  मंत्र।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...