मौकों का खेल



कौन जानता है, किस मोड़ पर मौका छिपा है,
बस एक कदम बढ़ाने की जरूरत है।
जो आएगा, वो खुद तय करेगा कीमत,
तुम्हारे शक, सिर्फ बेकार की खुराफात।

"ना" तो बस एक जवाब है, डरने की बात नहीं,
हर "ना" के पीछे छुपी "हां" की सूरत सही।
जो खेल में उतरेगा, वही बाजी मारेगा,
जो बैठेगा किनारे, वो पछतावे में रहेगा।

शक मत करना खुद की काबिलियत पर,
बस मौका मिलने दे, खुद को साबित कर।
दुनिया का काम है परखना,
तुम्हारा काम है डटकर बढ़ना।

इस खेल में हार भी जीत का हिस्सा है,
हर गिरावट, सफलता का किस्सा है।
तो चल, कदम बढ़ा और दरवाजा खटखटा,
कौन जाने, वो मौका तेरा ही रास्ता।

दुविधा छोड़, साहस पकड़,
हर "ना" तुझे बनाता है और मजबूत।


मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...