अपनी काबिलियत को न आंकें



चाहे संदेह हो, चाहे डर हो साथ,
नौकरी का आवेदन करो, बिना किसी बात।
जो खुद को नकारे, वही हार जाता है,
दूसरे तो तुम्हें आंक सकते हैं, पर तुम नहीं।

तुम खुद अपना दरवाजा मत बंद करो,
जिंदगी के हर मौके को खुले दिल से चुनो।
कौन जाने, शायद वही मौका तुम्हारा हो,
जो पहले कभी तुमने सोचा भी न हो।

तुम नहीं, वो तय करें, तुमसे कम हो या ज्यादा,
तुम्हारा काम है केवल कोशिश करना, बिना रुके, बिना घबराए।
अगर वे न कहें, तो तुम्हारी मेहनत का तो कोई मूल्य ही नहीं,
लेकिन अगर तुम न कहो, तो कभी वो मौका मिल ही नहीं।

तुम्हें खुद से न कहना "न",
जिंदगी के दरवाजे खोलो, और आगे बढ़ो।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...