साफ़ अंतःकरण से दूर जाना यह नहीं दर्शाता
कि तुम विवाह में पूर्ण थे,
बल्कि यह कि तुम्हारी भूलें
तुम्हारी मानवता का परिणाम थीं।
तुम्हारी त्रुटियाँ न तो
विश्वासघात थीं जीवनसाथी के प्रति,
न ही ईश्वर के प्रति।
वे मात्र तुम्हारे मानवीय होने का प्रमाण थीं।
न तो कोई छल,
न ही किसी हृदय में दुर्भावना,
तुम्हारे कार्यों में छिपी थी।
तुम्हारी कोशिशें सच्ची थीं,
भले ही वे हर बार सफल न हुईं।
कभी-कभी, सत्य के साथ खड़ा होना
संबंधों को पीछे छोड़ने का अर्थ होता है।
पर वह विदाई
क्रोध, घृणा, या दोष से नहीं भरी होती।
ईश्वर भी जानते हैं,
हम सब अपूर्ण हैं।
वह केवल हमारे हृदय की सच्चाई को देखते हैं,
और हमारे प्रयासों को समझते हैं।
इसलिए, यदि तुम्हारा अंतःकरण साफ़ है,
तो यह प्रमाण है कि तुमने निभाने की कोशिश की।
तुमने कोई छल नहीं किया,
और न ही किसी का भरोसा तोड़ा।
हर यात्रा का अंत
एक नई शुरुआत का द्वार होता है।
और जब हृदय में सच्चाई हो,
तो वह शुरुआत भी सुंदर होती है।