साफ़ अंतःकरण का अर्थ



साफ़ अंतःकरण से दूर जाना यह नहीं दर्शाता
कि तुम विवाह में पूर्ण थे,
बल्कि यह कि तुम्हारी भूलें
तुम्हारी मानवता का परिणाम थीं।

तुम्हारी त्रुटियाँ न तो
विश्वासघात थीं जीवनसाथी के प्रति,
न ही ईश्वर के प्रति।
वे मात्र तुम्हारे मानवीय होने का प्रमाण थीं।

न तो कोई छल,
न ही किसी हृदय में दुर्भावना,
तुम्हारे कार्यों में छिपी थी।
तुम्हारी कोशिशें सच्ची थीं,
भले ही वे हर बार सफल न हुईं।

कभी-कभी, सत्य के साथ खड़ा होना
संबंधों को पीछे छोड़ने का अर्थ होता है।
पर वह विदाई
क्रोध, घृणा, या दोष से नहीं भरी होती।

ईश्वर भी जानते हैं,
हम सब अपूर्ण हैं।
वह केवल हमारे हृदय की सच्चाई को देखते हैं,
और हमारे प्रयासों को समझते हैं।

इसलिए, यदि तुम्हारा अंतःकरण साफ़ है,
तो यह प्रमाण है कि तुमने निभाने की कोशिश की।
तुमने कोई छल नहीं किया,
और न ही किसी का भरोसा तोड़ा।

हर यात्रा का अंत
एक नई शुरुआत का द्वार होता है।
और जब हृदय में सच्चाई हो,
तो वह शुरुआत भी सुंदर होती है।


स्पष्ट अंतरात्मा का सत्य



दूर जाना, एक स्पष्ट अंतरात्मा के साथ,
नहीं दर्शाता कि तुम थे संपूर्ण।
यह तो बस ये कहता है,
कि तुम्हारे दोष थे मानव होने के सबूत।

हर गलती में छुपा था प्रयास,
संबंध को जीवित रखने का विश्वास।
ना कोई छल, ना कोई घात,
ना साथी के प्रति अपमान का बात।

"धर्मो रक्षति रक्षितः।"
धर्म वही जो सत्य के संग चले।
ना स्वार्थ, ना द्वेष,
ना ईश्वर के प्रति कोई अपराध।

यह स्वीकारना कि तुम अपूर्ण हो,
अपने आप में एक पवित्र सत्य है।
तुम्हारा दिल साफ़ था,
और हर क़दम में थी सिर्फ़ मानवता।

शादी एक यात्रा है,
जहाँ दोनों चलाते हैं एक नाव।
यदि तूफान में नाव डगमगाए,
तो दोष केवल इंसानी त्रुटियों का आए।

तुमने दिया था अपना सर्वस्व,
अपनी क्षमता भर प्रेम।
जो छूटा वो नियति थी,
पर तुम्हारे दिल में न थी कोई धुंध।

इसलिए जब तुम चले,
तुम्हारा मन शांत था।
तुम्हारे कर्मों ने तुम्हें निर्दोष किया,
और तुम्हारी आत्मा को मुक्त किया।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...