प्रकृति की गोदी में

पहाड़ों की ऊँचाई, सांसों की गहराई,
मेरी दुनिया बसी है, पहाड़ों के बीच।
संगीन पत्थरों की छाया, खुद से मुलाकात,
हर चोटी पर, एक नई कहानी, एक नया सफ़र।

प्रकृति की गोदी में, मन का संगम,
ध्यान की धारा में, अनंत का समाम।
सुख की छाँव, संघर्ष की धूप,
पहाड़ों के बीच, जीवन का अनूप।

संगीन रंगों में खोज, एक अनजान मंज़िल,
पहाड़ों के बीच, है सुकून की झिलमिल।
हर चट्टान की कश्ती, हर बारिश की बूँद,
मेरी दुनिया पहाड़ों के बीच, जीने की अनोखी उमंग।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...