है क्या वो

जब कुछ पुरानी खट्टी यादें
चासनी बनकर मुंह पर आ जाए
तो फिर क्या कहने
याद है वो गहरी खाइयां
जो हमने अपने लिए खींची थी.
देखो तो जरा वक़त के थपेड़ों ने भर दी
वो खाइयां
एहसास हुआ है जो आज
तब न ऐसा एहसास हुआ था
जब तुम्ही ने कहा था
की वक़त  जवाब देता है.
मांगू क्या मैं उससे जो मुझसे मांगने आया है
दूँ क्या मैं उसे जिसे मैं अपना सब कुछ दे चूका
है क्या वो आखिर जिसे न लिया जा सकता है
न किसी को दिया जा सकता है

कला और विज्ञान का संगम


कला का विज्ञान पढ़ो,
विज्ञान की कला समझो।
दृष्टि का विस्तार करो,
हर कण में संबंध खोजो।

देखना सिर्फ़ आँखों से नहीं,
दिल और दिमाग से देखो।
हर रेखा, हर रंग, हर तथ्य में,
एक गहरी कड़ी महसूस करो।

कला सिखाती है अभिव्यक्ति,
विज्ञान देता है आधार।
दोनों मिलकर दिखाते हैं,
जीवन का अद्भुत विस्तार।

हर चीज़ जुड़ी है हर चीज़ से,
ये ब्रह्मांड एक ताने-बाने सा है।
हर धागा, हर रंग, हर नियम,
एक अदृश्य धारा में बहता है।

तो देखो, समझो, और जानो,
इस संसार के अद्भुत खेल को।
क्योंकि हर कला और हर विज्ञान,
एक ही सत्य का हिस्सा हैं।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...