Open Sex – भाग 3: कामसूत्र से तंत्र साधना तक, मनोविज्ञान और समाज के आईने में

अब मैं इस लेख का तीसरा भाग लिख रहा हूँ, जो ओपन सेक्स की चर्चा को और गहराई में ले जाता है – विशेष रूप से कामसूत्र, तंत्र साधना, आधुनिक मनोविज्ञान, और समाज में इसके प्रभाव की दृष्टि से।


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Open Sex – भाग 3: कामसूत्र से तंत्र साधना तक, मनोविज्ञान और समाज के आईने में

लेखक: Deepak Dobhal


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1. कामसूत्र: सेक्स नहीं, जीवन की कला

बहुत लोग "कामसूत्र" को केवल एक सेक्स पोज़िशन गाइड समझते हैं, लेकिन वात्स्यायन ने इसे एक संपूर्ण जीवन-दर्शन के रूप में रचा था। उसमें सिर्फ यौन क्रिया नहीं, बल्कि—

प्रेम में सौंदर्य की समझ,

संबंधों में संतुलन,

और आत्म-संयम के साथ भोग की कला
का गहन अध्ययन मिलता है।


> "काम के बिना धर्म अधूरा है, लेकिन काम में लिप्त होकर अगर तुम जागरूक रहो, तो वह स्वयं धर्म का द्वार बन सकता है।" — वात्स्यायन



कामसूत्र में ओपन सेक्स जैसा शब्द नहीं है, लेकिन उसकी भावना में स्पष्ट है कि शरीर और आत्मा के मिलन में वर्जनाएं बाधा नहीं बननी चाहिए।


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2. तंत्र साधना: जब सेक्स ध्यान बनता है

तंत्र साधना में यौन ऊर्जा का उपयोग जागरण के लिए किया जाता है, विलास के लिए नहीं। उसमें नारी और पुरुष को शिव-शक्ति के रूप में देखा जाता है। वहाँ संभोग एक अनुष्ठान है — जो देह से आत्मा की ओर यात्रा है।

> "योनि द्वार से ही जीवन आता है, और वही द्वार ईश्वर तक भी ले जा सकता है।" — तंत्र सूत्र



लेकिन यह साधना हर किसी के लिए नहीं है। इसमें गुरु दीक्षा, संयम, और साधक की मानसिक परिपक्वता ज़रूरी है। आधुनिक समाज में तंत्र को भी केवल 'सेक्स' के रूप में बेच दिया गया है।


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3. आधुनिक मनोविज्ञान की नज़र से: Open Sex क्यों?

Sigmund Freud के अनुसार, मनुष्य का अधिकांश व्यवहार दबी हुई यौन इच्छाओं से प्रेरित होता है। Carl Jung ने भी माना कि Shadow Self में यौन repression होता है।

Open sex के पीछे आधुनिक मनोविज्ञान कुछ कारण मानता है:

बचपन की suppress हुई इच्छाएं,

प्रतिबंधित समाज का विद्रोह,

identity की खोज,

और "खुलापन" के नाम पर belonging की तलाश।


लेकिन जरा सोचो, क्या सिर्फ "freedom" कह देना काफी है? या उसमें भी कुछ विचार और आत्म-साक्षात्कार की ज़रूरत है?


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4. समाज और नैतिकता: सही या गलत?

भारत में अब भी open sex को अश्लीलता की दृष्टि से देखा जाता है। परंतु पश्चिमी समाजों में जैसे-जैसे विवाह की परंपरा ढीली होती गई, वैसे-वैसे open relationship, polyamory, और free love जैसे विचार सामने आए।

यहाँ कुछ प्रश्न उठते हैं:

क्या open sex से ईमानदारी बढ़ती है या बेवफाई?

क्या इससे अलगाव घटता है या emotional bond टूटता है?

क्या यह individual freedom है या commitment से भागना?


मोरलिटी की कोई universal परिभाषा नहीं होती। पर यह ज़रूर होता है कि हर समाज का ढांचा उसकी सांस्कृतिक चेतना के अनुसार बनता है।


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5. ओपन सेक्स और आध्यात्मिकता – विरोध या संगति?

Osho और तंत्र दोनों ने यह बताया कि sex को तुम जितना suppress करोगे, उतना वह अचेतन में उथल-पुथल मचाता रहेगा। लेकिन जब तुम sex को चेतनता, प्रेम और ध्यान से जोड़ दोगे, तो वही ऊर्जा विकास में बदलती है।

> "Sex is a biological fact; love is a psychological flowering; meditation is the ultimate fragrance." – Osho




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अंत में मेरा अनुभव:

मैंने ओपन सेक्स को देखा है – आश्रमों में, पर्वतीय साधना स्थलों में, आधुनिक शहरी जीवन में।

मैंने इसके उजले और अंधेरे दोनों पहलू देखे हैं।

लेकिन निष्कर्ष एक ही है: अगर सेक्स से प्रेम न जन्मे, तो वह बस उपभोग है। अगर प्रेम से आत्मा न जागे, तो वह भी मोह है।



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तुमसे एक सवाल, खुद से भी:

तुम sex को किस तरह देखते हो — भोग, प्रेम, या ध्यान?

तुम्हारे लिए open sex मुक्ति है या भटकाव?



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