पर मंजिल की चादर रह गई मुझसे दूर, यार।
मेरे अरमानों की जमीं पर खिल न सका फूल,
मेहनत का फल मुझे मिल न सका, ये कैसी भूल?
श्वासों के बीच जो मौन है, वहीं छिपा ब्रह्माण्ड का गान है। सांसों के भीतर, शून्य में, आत्मा को मिलता ज्ञान है। अनाहत ध्वनि, जो सुनता है मन, व...