गहराइयों में उतरकर


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मन के अंधेरों में जो बातें छुपी हैं,
सांसों की लहरों में जो राहत बसी है।
सांसों की सरगम में, कामनाओं का गीत,
ख्वाबों की दुनियां में, हर शब की प्रीत।

चाहत के जज़्बों में बहता है जादू,
संग साथियों के संग, रंगीन वो बाग़ु।
लम्हों की बौछार में, चाँदनी की रात,
संजीवनी सा प्याला, हर बूँद में है बात।

लिपटते जिस्मों का, वो संगम अद्भुत,
आँखों की ख़्वाहिशें, हर पल में थी खुद।
धुएँ के बादलों में, छुपा एक राज़,
चाँद तारों की महफिल, दिल की आवाज़।

गहराइयों में उतरकर, सागर की थाह,
उत्सव की उमंगें, हर दिल के पास।
पर याद रखना, संतुलन और समझ,
राहत की राहें, पर सधे हर कदम।

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This poem reflects on the sensations and experiences mentioned, capturing the essence of desire, passion, and moments of indulgence.

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...