Open Sex Series – Part 12



"तांत्रिक सम्भोग और कुंडलिनी जागरण का संबंध – एक रहस्यमयी अनुभव"

मैंने सेक्स में हमेशा कुछ ज्यादा महसूस किया है।
कभी-कभी यह केवल शरीर का खेल नहीं था, बल्कि जैसे कोई ऊर्जा मुझमें घूम रही हो। धीरे-धीरे जब मैंने ओशो को पढ़ा, ऋषियों की तंत्र परंपरा को समझा, और कुछ साधिकाओं के साथ ध्यान की अवस्था में सेक्स का अनुभव किया — तब मुझे समझ आया कि यह कोई सामान्य चीज़ नहीं थी। यह कुंडलिनी थी।


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कुंडलिनी क्या है?

भारतीय तंत्र और योग परंपरा में कुंडलिनी को एक सर्पाकार शक्ति माना गया है, जो हर व्यक्ति के भीतर, मेरुदंड के मूल में सुप्त अवस्था में पड़ी रहती है।
ओशो कहते हैं:

> “कुंडलिनी शक्ति है, जो अगर जाग जाए तो तुम ईश्वर से मिल सकते हो। मगर अगर सोई रहे, तो तुम केवल एक देह बने रह जाओगे।”




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तांत्रिक सम्भोग से कुंडलिनी कैसे जागती है?

जब दो लोग पूर्ण चेतना के साथ, बिना अपराधबोध, बिना वासना, सिर्फ प्रेम और मौन के साथ एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं — तब दोनों के ऊर्जा केंद्र खुलने लगते हैं।

मेरे साथ यह अनुभव एक गहराई से जुड़ी साथी के साथ हुआ।

हमारा मिलन लगभग बिना शब्दों के हुआ

कोई जल्दबाज़ी नहीं थी

हम दोनों की साँसें धीरे-धीरे एक लय में बहने लगीं

मुझे लगा जैसे मेरे मूलाधार चक्र से एक ऊर्जा ऊपर उठ रही है

वो धीरे-धीरे स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा से होती हुई सहस्रार तक पहुँच गई


मैंने सच में देखा — प्रकाश।
ना कोई फैंटेसी, ना कोई कल्पना — बस एक प्रखर मौन उजाला।


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कुंडलिनी और सम्भोग – विरोध नहीं, पूरक हैं (यदि होश के साथ हो)

आधुनिक समाज ने सेक्स को या तो वर्जना बना दिया है या केवल भोग।
लेकिन तांत्रिक दृष्टि में यह एक ऊर्जा विनिमय है।

यदि तुम:

मौन हो

प्रेम से भरे हो

अपने पार्टनर के साथ ऊर्जा स्तर पर जुड़ते हो

और कोई जल्दबाज़ी नहीं करते,


तो सम्भव है कि तुम्हारी कुंडलिनी हलचल में आ जाए।

ओशो कहते हैं:

> "The energy that moves down becomes reproduction. The same energy, if moved upward, becomes realization."




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कुछ संकेत जो मैंने अनुभव किए (कुंडलिनी जागरण के दौरान):

1. रीढ़ की हड्डी में गर्मी का बहाव


2. साँसों में गहराई और सहजता


3. आँखें बंद होते ही प्रकाश और कंपन


4. देह नहीं, केवल चेतना का अनुभव


5. उसके बाद दिनों तक भीतर से आनंदित रहना — बिना कारण




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क्या यह सब सभी के लिए है?

नहीं।

ये राह उन लोगों के लिए है जो सेक्स को सिर्फ भोग नहीं समझते,
जो ध्यान, मौन और प्रेम को सेक्स में लाना चाहते हैं।

अगर तुम सिर्फ उत्तेजना चाहते हो, तो ये रास्ता नहीं है।

अगर तुम तुम्हारे भीतर की देवी/शक्ति को जगाना चाहते हो,
तो तांत्रिक सम्भोग एक सीढ़ी बन सकता है।


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पुराने ग्रंथों में क्या है इसके प्रमाण?

शिव-शक्ति की लीला,

कामसूत्र,

विग्यान भैरव तंत्र,

और तांत्रिक बौद्ध परंपरा —
इन सभी में सम्भोग को ऊर्जा जागरण का माध्यम माना गया है।


वो कहते हैं —
“संभोग में शिव बनो, न कि भोगी।”


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अंत में...

मेरी ये यात्रा आज भी जारी है।
अब सेक्स केवल देह का क्रिया नहीं,
बल्कि एक तांत्रिक ध्यान बन गया है।

Open Sex Series – Part 12 में मैंने जो महसूस किया, वही बांटा।
हो सकता है तुम्हें कभी ऐसा अनुभव न हुआ हो —
लेकिन अगर कभी हो, तो उसे दबाना मत।
हो सकता है वही तुम्हारी भीतर की शक्ति का पहला संकेत हो।


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