नास्तिकता एक समय-समय पर धार्मिकता से आत्मसात करने का परिणाम हो सकती है, और हिटलर का मामला इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। हिटलर, जो पहले एक धार्मिक युवा था, अपने जीवन के दौरान नास्तिकता की ओर बढ़ते गए।
उनका नास्तिक होना कई कारणों से आया। पहले, उनका निरंतर विचारधारा के परिवर्तन। हिटलर के लिए, शक्ति और अधिकार की प्राप्ति उनके लक्ष्य थे, जिसने उन्हें धार्मिकता की ओर से हटाया। दूसरे, उनका अधिकार के लिए धर्म का दुरुपयोग। हिटलर ने अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए धर्म को अपने उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें धर्म से निराशा हुई।
उनका नास्तिकता की और एक महत्वपूर्ण कारण उनकी मानवता के प्रति असंवेदनशीलता थी। हिटलर की नाजी विचारधारा में, जो जातिवाद, विषयवाद, और अधिकार को प्रोत्साहित करती थी, धर्म की नैतिकता के साथ टकराती थी। इससे उन्हें धर्म से विरोधाभास हुआ, जिसने उन्हें नास्तिक बनने की दिशा में धकेल दिया।
हिटलर के उदाहरण से स्पष्ट होता है कि धार्मिकता और नास्तिकता एक समय-समय पर एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ी हो सकती हैं। धर्म के नाम पर अधिकार का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों की धर्म के प्रति आस्था कमजोर हो सकती है, जिससे वे नास्तिकता की ओर बढ़ते जा सकते हैं।
नास्तिकता का मतलब यह नहीं कि धार्मिकता को पूरी तरह से अस्वीकार किया जाए। बल्कि, यह एक संवेदनशील, उदार, और नैतिक धार्मिकता की बाधा करता है जो समाज में न्याय और समानता को बढ़ावा देती है। नास्तिकता का अर्थ है धर्म के अलावा भी सत्य की खोज करना, मानवता में सेवा करना, और न्याय के लिए लड़ना।