प्रेम ही तो है, असली सार,
जहाँ नहीं है वासना का भार।
जब दो दिल जुड़ें आत्मा के तार,
वहीं तंत्र होता साकार।
स्पर्श जहाँ बन जाए दैवीय गीत,
न हो कोई इच्छाओं की भीत।
संबंधों का हो निर्मल प्रवाह,
जहाँ केवल शुद्धता का वास।
यह मिलन नहीं है तन का खेल,
यह तो है आत्मा का मेल।
जहाँ प्रेम हो, वहाँ स्वर्ग है,
वासना से मुक्त, यही तंत्र का संग है।
जो समझे इस सत्य की बात,
पाएगा जीवन में अद्भुत सौगात।
प्रेम का यह शाश्वत रूप,
हर पल बनाए जीवन को अनूप।