लेखक: Deepak Dobhal
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1. भूमिका – आज़ादी या भ्रम?
नई पीढ़ी खुली सोच के साथ बड़ी हो रही है।
आज सेक्स पर बात करना टैबू नहीं रहा, casual sex, hookup culture, friends with benefits, open relationship जैसे शब्द आम हो गए हैं।
लेकिन एक सवाल उठता है —
क्या ये सच में सेक्सुअल फ्रीडम है? या प्रेम से भागने का तरीका?
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2. डिजिटल दौर की सेक्स क्रांति
Tinder, Bumble जैसे ऐप्स ने रिश्तों को "swipe" पर ला दिया है
Pornhub, OnlyFans जैसी साइट्स ने sexual imagination को नई ऊँचाई दी है
सोशल मीडिया ने शरीर को "like & comment" की चीज़ बना दिया है
अब प्रेम एक धीमी यात्रा नहीं रहा — बल्कि एक तेज़ gratification का जरिया बन गया है।
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3. आत्मा से अलग होता हुआ देह संबंध
पहले सेक्स और प्रेम साथ-साथ चलते थे
अब सेक्स अलग हो गया है — बिना भावनाओं के।
क्या ये ईमानदारी है या खालीपन की भरपाई?
क्या ये आज़ादी है या आत्मा की आवाज़ से दूरी?
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4. Osho: सेक्स को स्वीकारो, पर उससे परे भी जाओ
Osho कहते हैं:
> "Sex is the seed; love is the flower; compassion is the fragrance."
उन्होंने कभी सेक्स को दबाने की बात नहीं की —
बल्कि उसे जानने, समझने और पार करने की बात की।
पुणे के Osho Commune में मैंने कई ऐसे युवाओं को देखा —
जो नंगेपन, खुलापन और साझेपन को अपनाते थे।
पर वहीँ कुछ लोग खो जाते थे — क्योंकि उन्होंने सेक्स को 'ख़त्मी सुख' मान लिया।
Osho का संदेश था:
"Sex is not the end, it is the beginning. If you get stuck, you are lost."
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5. मनोविज्ञान की नज़र में — 'Avoidant Generation'
कई मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि आज की पीढ़ी Intimacy Avoidant हो चुकी है।
Commitment का डर
Vulnerability से परहेज़
Emotional labour से बचना
Sexual freedom के नाम पर हम भावनात्मक दूरी बनाना सीख गए हैं।
रिश्ते अब convenience बन गए हैं — commitment नहीं।
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6. क्या ये पलायन है?
हाँ, कई मामलों में यह Escapism है।
अकेलेपन से भागना
ट्रॉमा से बचना
rejection से डरना
खुद से नज़रें चुराना
हम शरीर के ज़रिये जुड़ना चाहते हैं,
पर आत्मा के स्तर पर कनेक्शन से डरते हैं।
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7. सनातन और तंत्र में दृष्टि
तंत्र शास्त्रों में सेक्स का विश्लेषण गहराई से हुआ है।
वहाँ इसे "काम" नहीं, "ऊर्जा संयोग" कहा गया — एक साक्षात्कार, एक साधना।
कामसूत्र भी केवल सुख नहीं सिखाता,
वो कला, संवाद, संवेदना और चेतना की बात करता है।
शिव और शक्ति का मिलन — यौन नहीं, ब्रह्म अनुभव है।
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8. मेरा अनुभव:
Rishikesh में एक विदेशी महिला से बात हुई। उसने कहा:
> “I don’t do sex for pleasure now. I do it for healing.”
वहीं, एक भारतीय युवक ने कहा:
> “मैं हर हफ्ते नई पार्टनर के साथ होता हूँ, लेकिन दिल कभी जुड़ता नहीं।”
तो सवाल ये है — क्या तुम्हारा शरीर जुड़ रहा है या आत्मा अकेली है?
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9. निष्कर्ष:
Sexual Freedom तभी सार्थक है जब वो सजगता और ईमानदारी से जुड़ी हो।
वरना ये आत्मा से दूर जाने का माध्यम बन जाती है।
> “स्वतंत्रता वो नहीं जो वासनाओं की गुलामी करे,
स्वतंत्रता वो है जो आत्मा को प्रेम में जागृत करे।”
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