मेरे खुद के लिए



संदेह के बावजूद, मैं कदम बढ़ाता हूँ,
कभी खुद को नकारता नहीं, बस आगे जाता हूँ।
जैसे एक पार्टी में, चिप्स लेकर आता हूँ,
कभी-कभी वही डिप, सबको चौंका जाता हूँ।

मैं खुद को मौका देता हूँ, जो अनजाना है,
कभी अपने बारे में सोचा भी नहीं था, ऐसा सपना है।
क्या पता, शायद मैं वही होऊं,
जो हर किसी को याद रह जाए, बिना किसी कारण के होऊं।

मैं अपनी काबिलियत को खुद तय करता हूँ,
कभी भी खुद को आधे में नहीं छोड़ता हूँ।
यह जिंदगी का तो बस एक हिस्सा है,
कभी न जानूं, क्या छुपा है इस सृजन में मेरा हिस्सा है।

मैं खुद को नहीं रोकता,
मेरे पास वो सब है, जो मुझे चाहिए।


"प्रेम का दिव्यता रूप"

प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...